नीम(neem) के गुण और फायदे

नीम(neem)

भारत में नीम को “सर्वरोग निवारिणी” भी कहा जाता है जिसका मतलब होता है सभी बीमारियों की ओषधि। इसके अलावा नीम को एक और नाम दिया गया है–“अरिष्ठा”, जिसका मतलब होता है बीमारियों से राहत देने वाला। कई सालों से आयुर्वेदिक औषधि और घरेलू उपाय के तौर पर लोग नीम का प्रयोग करते आ रहे हैं।छोटी-बड़ी समस्याओं के लिए नीम के पत्तों से लेकर इसकी छाल तक इस्तेमाल किया जाता रहा है।कई लोग नीम की पत्तियों को खाने में भी शामिल करते हैं।शरीर से जुड़ी कई छोटी-बड़ी समस्याओं के लिए अलग अलग तरह से नीम का प्रयोग किया जाता है । हम उपचारगुरु के इस लेख में आपको कड़वे नीम के मीठे फ़ायदो के बारे में जानकारी देंगे और ये भी बतायेगे की इसके क्या नुक्सान है ।

नीम एंटी बैक्टीरियल (बैक्टीरिया से लड़ने वाला), एंटी फंगल (फंगस से लड़ने वाला), एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों के प्रभाव को कम करने वाला) और एंटीवायरल (वायरल संक्रमण से बचाव) गुणों से युक्त होता है । इसलिए इसका उपयोग बहुत सी बीमारियों में किया जाता है ।इसकी जड़ों से लेकर तने तक और फूल से लेकर फल तक का उपयोग विभिन्न दवाइयों को बनाने में किया जाता है।

एसिडिटी में राहत पहुंचाता है नीम का सेवन (Neem Benefits in acid reflux)

नीम शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक जीवाणुओं को बाहर निकालता है। नीम का यह गुण स्वस्थ पाचन तंत्र में सुधार करने में लाभकारी हो सकता है। साथ ही यह पेट को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।नीम पंचांग का महीन चूर्ण एक भाग, विधारा चूर्ण 2 भाग तथा सत्तू 10 भाग तीनों को मिलाकर रखें। उचित मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।नीम का उपभोग पेट में सूजन में कमी लाता है, जो अल्सर को कम करने और कब्ज , सूजन और क्रैम्पिंग जैसे अन्य आंतों की समस्याओं को कम करने में मदद करता है। जिस से पाचन ठीक होता है और एसिडिटी से राहत मिलती है ।

त्वचा और चेहरे को रोगमुक्त रखने के लिए नीम (neem benefits for skin and face)

नीम में कई  फैटी एसिड्स पाए जाते हैं, जो  त्वचा के लिए एक एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं।नीम के इस्तेमाल से त्वचा को कई प्रकार के इन्फेक्शन से भी दूर रखा जा सकता है।चेहरे पर होने वाले मुहांसों के लिए भी नीम एक प्रभावी दवा के रूप में काम करता है। नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाया जा सकता है जिस से चेहरे की त्वचा बेदाग़ और मुहासो रहित बनती है ।

बालों के लिए नीम के फायदे (Neem Benefits for hair)

नीम के एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण इसे  स्केलप क्लींजर के रूप  में बहुत लोकप्रिय बनाते हैं।क्योंकि यह बालों की त्वचा में से डैंड्रफ़ को खत्म करने में मदद कर सकता है। यह एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण आपके बालों के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। नीम में कई शक्तिशाली कंपाउंड पाए जाते हैं, जो बालों में जूं पैदा होने से रोकते हैं। इसीलिए हम कह सकते है की सर में जू पैदा होने से रोकता है और बालो को स्वत्छ रखता है ।एक वैज्ञानिक शोध में नीम के तेल को जुओं के खिलाफ कारगर उपाय माना गया है।

मधुमेह के लक्षणों को कम करे (Neem Benefits for reduce Diabetes)

नीम के पत्तों में खास प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। शरीर में इंसुलिन की कम मांग और नीम की खपत के बीच में एक संबंध है।नीम के रासायनिक घटक इंसुलिन रिसेप्टर फ़ंक्शन को ठीक करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि शरीर को इंसुलिन की उचित मात्रा मिल रही है, जो डायबिटीज होने से रोकता है। इसके अलावा, डायबिटीज के लिए ,इसका उपयोग इंसुलिन थेरेपी पर निर्भरता को कम करने के लिए किया जा सकता है।मधुमेह रोगी को किसी चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित रूप से नीम की पत्ती का सेवन करना चाहिए।

नीम का लाभ वायरल संक्रमण में(Neem Benefits For Viral Disease)

वायरल संक्रमण में नीम का उपयोग कर सकते है। नीम के पत्‍तों में मौजूद तत्‍व वायरस को नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। संक्रमण को दूर करने के लिए आप नीम के पत्तो  का पेस्‍ट बना सकते हैं और त्वचा पर लगा सकते हैं। नीम का इस्तेमाल आप चिकन पॉक्स की समस्या में भी कर सकते हैं। नीम की पत्‍ती से बना पेस्‍ट मस्‍सा और छोटी चेचक (chicken pox) आदि में भी  प्रभावी होता है। क्‍योंकि नीम वायरस को नष्ट करता है और इन्‍हें फैलने से रोकता है। नीम का रस हर्पिस वायरस के इलाज़ में काम आता हैं। इसके अलावा नीम की पत्तियों को लगाने से  फोड़े, फुंसी और घावों का उपचार भी किया जा सकता है। इस तरह नीम के विभिन्न हिस्सों का उपयोग कर  हम किसी भी तरह के वायरल संक्रमण से बच सकते हैं।

नीम के पत्तों से अल्‍सर का इलाज(Neem ki pattiyo ke fayde For Treat Ulcers)

पेट के अल्‍सर आज कल किसी को भी हो सकता है। जिनका इलाज करने के लिए एसिडिटी कम करने की अंग्रेजी गोलियों आदि का उपयोग किया जाता है। लेकिन ये प्राकृतिक उपचार नहीं है और इसके कुछ नुक्सान भी हो सकते हैं।अल्‍सर का प्राकृतिक उपचार करने के लिए आप नीम की पत्‍तीयों का उपयोग करे तो अच्छा रहेगा। यह पेट के अल्सर के लिए बहुत ही प्रभावी और सुरक्षित है।इसके अलावा आप नीम की छाल का भी उपयोग कर सकते हैं। पत्तियों और छाल से निकाले गए रस में शक्तिशाली संक्रमण रोधी गुण होते हैं। नीम का सेवन करने से गैस्ट्रिक श्‍लेष्म यानी म्यूकस की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है जो अल्‍सर का उपचार करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।आप भी नीम की पत्‍ती का सेवन कर अल्सर को जल्दी ठीक कर सकते है ।

नीम के फायदे रक्‍त परिसंचरण में (Neem Benefit For Blood Circulation)

नीम में रक्‍त को शुद्ध करने की क्षमता होती है। इसलिए यह स्‍वस्‍थ्‍य रक्‍त परिसंचरण को बनाये रखने में मदद करता है। इसके अलावा नीम की पत्तियों का सेवन करने से यह खून में से टॉक्सिन को कम करता है। नीम में मौजूद पोषक तत्व रक्‍त वाहिकाओं के स्‍वास्‍थ्‍य को बनाये रखता हैं जिससे शरीर में उचित रक्‍त प्रवाह रहता  हैं। इन गुणों के कारण नीम की पत्ती के फायदे ह्रदय के लिए भी जाने जाते हैं। नियमित उपभोग करने पर यह त्‍वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता हैं। इसके अलावा यह मानव शरीर में हार्मोन स्‍तर को भी प्रभावी रूप से नियंत्रित करता हैं। इन सभी लाभों को आप नीम के सेवन से प्राप्त कर सकते है ।

नीम के पत्तों का गठिया में फायदा(Neem Leaves Used For Treat Arthritis)

नीम के पेड़ के सभी हिस्‍से हमारे लिए फायदेमंद होते हैं। इस पेड़ की पत्तियां, फल और छाल से हम गठिया में लाभ पा सकते हैं। इनमें ऐसे औषधीय तत्‍व होते हैं जो जोड़ों में दर्द से आराम दिलाने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप नीम की पत्तियों का पेस्‍ट बनाकर दर्द वाली जगह में लगा सकते हैं। इसके अलावा आप नीम की पत्तियों और फल से निकाले गए तेल से मालिश भी की जा सकती हैं। यह हर तरह के दर्द में राहत दिलाता है। इसके अलावा आप ऑस्टियोआर्थराइटिस में भी इसका इस्तेमाल कर सकते है। गठिया रोगी के लिए यह प्रभावी उपचार हो सकता है यदि वह नीम की पत्तियों का उपयोग करे।

नीम का उपयोग कैसे करें (How to uses of Neem)

कई चिकित्सा प्रणालियों में नीम को अलग-अलग प्रकार की दवाएं बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्राचीन काल से ही भारत में लोग इसकी टहनी से बनी दातुन का इस्तेमाल करते हैं, जिसे दांतों के स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना गया है। आजकल कई टूथपेस्ट बनाने में भी नीम का इस्तेमाल किया जाता है और साथ ही शैम्पू, साबुन जैसे कई प्रोडक्ट हैं, जिनमें नीम को कीटाणुरोधी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। नीम का इस्तेमाल निम्न तरीके से किया जा सकता है –

  • टहनी चबाकर (दातुन के रूप में)
  • पत्ते चबाकर
  • पानी में उबालकर (त्वचा पर लगाने के लिए)

 

 

 

 

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