गिलोय(Tinospora cordifolia)
गिलोय एक बेल है। यह आमतौर पर खाली जगह, सड़कों के किनारे, जंगलों, पार्कों, बगीचों, पेड़ों और झाड़ियों और दीवारों पर उगता है। गिलोय का वैज्ञानिक नाम ‘टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया’ है।
ये बेल बहुत तेजी से बढ़ती है। गिलोय के पत्ते पान के पत्तों की तरह बड़े, चिकने और हरे रंग के होते हैं। अगर इसे पानी वाली जगह पर लगाया जाए तो पत्तियों का आकार बढ़ जाता है।इसके फूल गर्मी के मौसम में निकलते हैं। वे छोटे समूहों में उभरते और बढ़ते हैं। गिलोय के फल अण्डाकार, चिकने, मटर जैसे गुच्छों में दिखाई देते हैं। पकने के बाद इसका रंग लाल हो जाता है। गिलोय के बीज का रंग सफेद होता है। गिलोय को घर में भी आसानी से उगाया जा सकता है।
- गिलोय के पत्तों में कसैला, कड़वा और तीखा स्वाद होता है। इसके प्रयोग से वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान, भूख बढ़ाने वाला और आंखों के लिए अच्छा होता है। गिलोय के सेवन से आप प्यास, सीने में जलन, मधुमेह, कुष्ठ रोग और पीलिया में लाभ उठा सकते हैं। इसके साथ ही यह शुक्राणु और बुद्धि को बढ़ाता है और बुखार, उल्टी, सूखी खांसी, हिचकी, बवासीर, तपेदिक, मूत्र रोगों में भी इसका उपयोग किया जाता है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी में यह बहुत उपयोगी है।
- गिलोय ,अमृता, अमृतवली, एक महान बेल है जो कभी नहीं सूखती है। उसका तना एक रस्सी की तरह दिखता है। उनके नरम उपजी और शाखाएँ आती हैं। इसमें पीले और हरे फूलों के समूह हैं। इसके पत्ते नरम होते हैं और सुपारी के रूप में और फल मटर की तरह होते हैं।
- पेड़ के कुछ गुण जिसपर ये चढ़ जाती है, वो भी उसमें मिल जाते हैं। इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ने वाले गिलोय को सबसे अच्छा माना जाता है। आधुनिक आयुर्वेद (चिकित्सा शिक्षाविदों) के अनुसार, गिलॉय पेट कीड़े के लिए हानिकारक बैक्टीरिया को भी समाप्त करता है। टीबी बैक्टीरिया के विकास को रोकता है जो बीमारी का कारण बनता है। आंत और मूत्र प्रणाली के साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले कीटाणुओं को भी समाप्त करता है।
- यदि कोई व्यक्ति लगातार बीमार है, तो वह अपनी वीक इम्युनिटी या कमजोर प्रतिरक्षा के कारण भी हो सकता है।
- गिलोय की उत्पत्ति के संबंध में कहा जाता है कि जहां समुद्रमंथन के दौरान अमृत के कलश के रिसने के कारण इसकी बूंदें गिरीं, वहीं गिलोय या अमृता का पौधा निकला। आयुर्वेद में गिलोय को बहुत ही उपयोगी बताया गया है।
- रक्त को साफ करने, बैक्टीरिया को मारने, स्वस्थ कोशिकाओं को बनाए रखने, शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कणों से लड़ने से प्रतिरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।
इन समस्याओं को दूर करने के लिए समय और पैसा खर्च करने के बजाय, आप गिलोय Tinospora cordifolia के रस का सेवन भी शुरू कर सकते हैं।
गिलोय के अन्य लाभ हैं-
शरीर के विष को हटाएं।
स्ट्रेस से राहत देता है
मूत्रवाहिनी संक्रमण को हटा दें।
जिगर से संबंधित बीमारियों के खिलाफ लड़ाई।
पीलिया को ठीक करता है
बुखार में
पुराने बुखार या अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए गिलोय बहुत उपयोगी है। यह इसकी ज्वरनाशक प्रकृति के कारण है।
घातक बीमारियों से लड़ने, रक्त प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मदद करता है। डेंगू बुखार की समस्या होने पर भी यह उसके लक्षणों को खत्म कर देता है। गिलोय के अर्क को थोड़ी मात्रा में शहद में मिलाकर प्रयोग करने से भी मलेरिया की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
पाचन सुधार में
गिलोय के नियमित सेवन से यह पाचन और पेट की सभी समस्याओं का इलाज करता है। पाचन की समस्या को दूर करने के लिए गिलोय का सेवन निम्न प्रकार से करना चाहिए। गिलोय ,अतिश ,अदरक की जड़ बराबर मात्रा में लें। तीनों सामग्रियों को एक साथ उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को रोजाना 20-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट और पाचन से जुड़ी सभी समस्याएं खत्म हो सकती हैं।
एनीमिया में राहत दिलाए
जिन लोगो को खून की कमी यानि एनीमिया हैं उन्हें डॉक्टर की सलाह से गिलोय का इस्तेमाल करना चाहिए। गिलोय से तैयार जूस पीने से शरीर में खून की कमी की समस्या दूर होती है। गिलोय के जूस के अलावा आप गिलोय के जूस में आधा चम्मच घी और एक छोटा चम्मच शहद मिलाकर पिएं। इससे भी शरीर में खून की कमी दूर होती है।
डेंगू में लाभकारी
हम सभी जानते हैं कि गिलोय की मदद से डेंगू जैसे जानलेवा बुखार से छुटकारा पाया जा सकता है। इसमें कई ऐसे ओसधि रसायन होते हैं, जिनके कारण यह इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित करता है। यह प्रभाव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता देता है। इन बीमारियों में मलेरिया और डेंगू जैसे वायरल इंफेक्शन भी शामिल हैं। इसी कारण डेंगू से छुटकारा पाने के लिए गिलोय का काफी ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। डेंगू होने पर गिलोय का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए ।
अस्थमा की समस्या में
अगर किसी को अस्थमा हो गया हैं तो आपको एक बार गिलोय का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। क्योकि इसमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ श्वास संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा के लक्षणों को कम करने की भी प्रबल क्षमता मौजूद होती है। इसके लिए गिलाय के तने के जूस को शहद के साथ मिलाकर उपयोग में ला सकते हैं।
लीवर विकार में
अगर ज्यादा शराब पीते हैं जिसकी वजह से आपको लीवर से जुड़ी समस्या होने की आशंका है तो ऐसे में आपको गिलोय सत्व का उपयोग जरूर करना चाहिए। यह खून को साफ़ करती है और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम का स्तर बढ़ाती है।और लीवर को स्वस्थ रखती है। गिलोय के नियमित सेवन से लीवर संबंधी गंभीर रोगों से बचाव होता है।
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